नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन में महाकाल मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण मामले में सुनवाई पूरी करके गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि मंदिर में पूजा अर्चना कैसे होगी ये तय करना कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट पूजा पद्धति में दखल नही देगा। कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ शिवलिंग को सुरक्षित रखने को लेकर चिंतित हैं।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित है जिसमें उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण आदि से जुड़े मुद्दे को उठाया गया है। मध्य प्रदेश में उज्जैन का महाकाल मंदिर बारह ज्योतिर्लिग में से एक है। इस ऐतिहासिक मंदिर की बड़ी मान्यता है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने याचिका पर मंदिर प्रशासन याचिकाकर्ता आदि की दलीलें सुनीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने साफ किया कि वह मंदिर की पूजा पद्धति में कोई दखल नहीं देगा। मंदिर में भस्म आरती कैसे होगी ये कोर्ट नहीं तय करेगा।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने मंदिर में जलाभिषेक व महाकाल शिवलिंग की पूजा अर्चना के बारे में नियमों का बोर्ड लगाए जाने और उसे सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताए जाने पर गहरी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को तत्काल बोर्ड हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उसने पूजा पद्धति के बारे कभी कोई आदेश नहीं दिया था ये नियम मंदिर प्रबंधन समिति ने विशेषज्ञ समिति से विचार विमर्श के बाद तय किये थे जिसे कोर्ट ने मंजूरी दी थी।
https://www.jagran.com/news/national-it-is-not-the-court-job-to-decide-how-to-worship-in-the-temple-17781145.html?src=eptn
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